पत्रकार मोहम्मद सईद
लखनऊ। तेलीबाग स्थित ऐतिहासिक दरगाह पर हजरत सैयद अली शाह बाबा रहमतुल्लाह आलेह का 67वां उर्स मुबारक मेला पूरे सात दिनों तक बड़े ही श्रद्धा, उत्साह और भाईचारे के साथ मनाया गया। इस पावन अवसर पर गंगा-जमुनी तहजीब की एक ऐसी अनूठी मिसाल पेश हुई, जिसे देखकर हर कोई भावविभोर हो उठा। हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदायों के लोग एक साथ मिलकर उर्स के आयोजन में शामिल हुए और शांतिपूर्ण माहौल में इसे सफल बनाया। मेले के दौरान हजारों की संख्या में जायरीन दरगाह पहुंचे। बाबा के दर पर चादरपोशी कर सभी ने देश और समाज में अमन-चैन और भाईचारे की दुआएं मांगीं। जायरीनों के चेहरों पर श्रद्धा और आस्था का भाव साफ नजर आ रहा था। उर्स के सफल आयोजन में थाना पीजीआई पुलिस और आर्मी कैंट प्रशासन का भी विशेष सहयोग रहा, जिससे सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद बनी रही और किसी भी तरह की अप्रिय घटना नहीं घटी। मेले में कव्वाली की महफिल भी सजाई गई, जिसमें शरीफ परवाज की कव्वाली ने समां बांध दिया। उनकी आवाज़ और कलाम सुनकर जायरीन झूम उठे और बाबा की दरगाह पर अपनी हाजिरी दर्ज कराई। और गरीब जरूरतमंद जायरीनों के लिए दाल-रोटी के लंगर का भी विशेष इंतजाम किया गया, जो पूरे सातों दिनों तक लगातार चलता रहा। भारी तादाद में लंगर में जायरीन ने भोजन ग्रहण किया। इससे बाबा के मेले में इंसानियत और भाईचारे का संदेश और भी मजबूती से लोगों के दिलों में उतर गया। बाबा के मेले में हर कोई चाहे वह अमीर हो या गरीब, एक साथ बैठकर भोजन कर रहा था, यही दरगाह की खासियत है। मेले के आयोजन में दरगाह के मुख्य सदस्य डीके मिश्रा, हाजी फारूक, हाजी शब्बीर, शिवम यादव, डीके दास, रहमत अली, आसिफ और मुबारक अली ने अहम भूमिका निभाई। इन्होंने दरगाह पर आने वाले हर जायरीन का खुले दिल से स्वागत किया और उनकी हर जरूरत को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मेले में बच्चों के लिए भी खास खिलौनों की दुकानें, खाने-पीने के स्टॉल्स, किताबों की दुकानें और बड़े-बड़े झूले, जिनका बच्चों ने जमकर लुत्फ उठाया। इस मेले ने हर उम्र और हर वर्ग के लोगों को एक साथ जोड़ा और सामाजिक सौहार्द का संदेश दिया। विशेष रूप से हिंदू-मुस्लिम एकता की तस्वीर देखने को मिली। दोनों समुदायों के लोग बाबा की दरगाह पर मत्था टेकने और एक-दूसरे के सुख-दुख में सहभागी बनने पहुंचे। अंतिम दिन उर्स का समापन शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल में हुआ, जिसमें सभी समुदायों के लोग एकजुट होकर उर्स मुबारक की परंपरा को जीवंत बनाए रखने का संदेश देते नजर आए। हजरत सैयद अली शाह बाबा रहमतुल्लाह आलेह का यह 67वां उर्स मुबारक मेला हर साल की तरह इस बार भी मोहब्बत, भाईचारे और इंसानियत का पैगाम देकर समाप्त हुआ। यह मेला आगे भी समाज में गंगा-जमुनी तहजीब और आपसी भाईचारे को मजबूती से कायम रखने का संदेश देता रहेगा।
